भारत से रिश्ते बिगाड़कर पछता रहा पाकिस्तान, चोरी-छिपे भेज रहा माल – सुधरे संबंध तो 3 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है कारोबार!

Jun 30, 2025 - 13:39
Jun 30, 2025 - 14:21
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भारत से रिश्ते बिगाड़कर पछता रहा पाकिस्तान, चोरी-छिपे भेज रहा माल – सुधरे संबंध तो 3 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है कारोबार!

पाकिस्तान अपनी आज़ादी के बाद से ही भारत का कट्टर विरोधी बना रहा है। खासतौर पर उसकी आतंकवाद समर्थक नीतियों की वजह से भारत-पाक संबंधों में हमेशा तनाव बना रहा। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकी घटना के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान से हर तरह का व्यापारिक संबंध पूरी तरह तोड़ दिए हैं। इससे पहले भी पुलवामा हमले के बाद 2019 से भारत ने कड़ा रुख अपनाया था, लेकिन इस बार सरकार ने 2 मई से किसी भी तरह के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ट्रेड पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।

इसके बावजूद पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा। वह दुबई जैसे तीसरे देश के रास्ते अपने उत्पादों को भारत में भेजने की कोशिश करता है। हाल ही में राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) ने न्हावा शेवा पोर्ट पर पाकिस्तान से आए 9 करोड़ रुपये के माल को जब्त किया। यह माल कराची से जबल अली (दुबई) पहुंचा और वहां "मूल देश" की जानकारी बदलकर भारत भेजा गया था।

2019 के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक रिश्तों में भारी गिरावट आई है। 2018-19 में जहां दोनों देशों के बीच 4,370 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था, वहीं 2022-23 में यह घटकर मात्र 2,257 करोड़ रह गया। हालांकि, 2023-24 में यह बढ़कर 3,886 करोड़ रुपये पहुंचा – जो पिछले 5 साल में सर्वाधिक था।

लेकिन क्या रिश्‍ते सुधर सकते हैं?
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) और विश्व बैंक के अनुसार, अगर भारत-पाक रिश्ते सामान्य हो जाएं तो दोनों देशों के बीच 37 अरब डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपये) तक का सालाना व्यापार हो सकता है। अभी यह आंकड़ा महज 2 अरब डॉलर (करीब 17 हजार करोड़ रुपये) तक ही सीमित है।

भारत का कुल वार्षिक निर्यात लगभग 430 अरब डॉलर का है, जबकि पाकिस्तान का करीब 100 अरब डॉलर तक। ऐसे में पाकिस्तान के लिए भारत जैसा बड़ा बाजार छोड़ना नुकसानदेह साबित हो रहा है। इसीलिए अब वह चोरी-छिपे माल भेजने जैसे रास्तों पर उतर आया है।

निष्कर्ष:
भारत के सख्त रुख और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के चलते दोनों देशों के बीच संबंध लगभग खत्म हो चुके हैं। लेकिन यह स्थिति न सिर्फ राजनीतिक बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी पाकिस्तान के लिए भारी पड़ रही है। अगर वह अपने रवैये में बदलाव लाए तो उसे अरबों डॉलर का फायदा हो सकता है – पर क्या वो इसके लिए तैयार है?

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