मीरा-भाईंदर में भव्य रूप से सम्पन्न हुई ‘संस्कृति दहीहांडी 2025’, जय महाराष्ट्र गोविंदा पथक ने जीता मान का खिताब

Aug 17, 2025 - 21:16
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मीरा-भाईंदर में भव्य रूप से सम्पन्न हुई ‘संस्कृति दहीहांडी 2025’, जय महाराष्ट्र गोविंदा पथक ने जीता मान का खिताब

मीरा-भाईंदर इस वर्ष एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक उत्सव का गवाह बना। प्रताप सरनाईक फाउंडेशन और वंदना विकास पाटिल जनहित संस्था के संयुक्त आयोजन में ‘संस्कृति दहीहांडी 2025’ का भव्य आयोजन पहली बार मीरा-भाईंदर में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। अब तक यह पारंपरिक दहीहांडी ठाणे में बड़े पैमाने पर आयोजित होती थी, लेकिन परिवहन मंत्री एवं धाराशिव जिले के पालकमंत्री श्री प्रताप सरनाईक की संकल्पना से इस बार इसे मीरा-भाईंदर में भव्य रूप से मनाया गया।

पूरे दिन चले इस उत्सव में 10 से अधिक गोविंदा पथकों ने अपनी ताकत और टीमवर्क का शानदार प्रदर्शन किया। पथकों ने 5, 6, 7 और 8 मंजिला मानव पिरामिड बनाकर दर्शकों का उत्साह दोगुना कर दिया। विजेता पथकों को आकर्षक नकद इनाम और सम्मानचिह्न प्रदान किए गए। 8 मंजिला पिरामिड बनाने वाले पथक को 25,000 रुपये, 7 मंजिला को 15,000 रुपये, 6 मंजिला को 10,000 रुपये और 5 मंजिला को 5,000 रुपये तथा ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया।

इस बार की खास बात यह रही कि महिला गोविंदा पथकों ने भी उत्साहपूर्वक भागीदारी की। आयोजकों की ओर से महिला पथकों को लाइफ जैकेट, नकद इनाम और सम्मानचिह्न देकर सम्मानित किया गया।

मान की दहीहांडी का खिताब ‘जय महाराष्ट्र गोविंदा पथक’ ने 8 मंजिला पिरामिड बनाकर अपने नाम किया। इस पथक को 5 लाख रुपये का नकद इनाम और आकर्षक ट्रॉफी भेंट की गई। वहीं ‘जय मल्हार गोविंदा पथक’ को भी शानदार प्रदर्शन के लिए विशेष ट्रॉफी प्रदान की गई।

इस अवसर पर मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा,
"यह दहीहांडी उत्सव मेरे लिए बेहद खास है। संस्कृति दहीहांडी में जोगेश्वरी के कोकणनगर गोविंदा पथक और जय जवान गोविंदा पथक ने लगातार दो बार 10 मंजिला पिरामिड बनाकर विश्व रिकॉर्ड कायम किया है। पुर्वेश सरनाईक के प्रयासों से यह परंपरा अब अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल कर चुकी है, जो महाराष्ट्र के लिए गर्व की बात है।"

बारिश के बावजूद गोविंदाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। शांति और अनुशासन के साथ सम्पन्न हुआ यह आयोजन किसी भी अप्रिय घटना के बिना सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

संस्कृति दहीहांडी 2025 ने न सिर्फ दहीहांडी की परंपरा को नई ऊंचाई दी है बल्कि मीरा-भाईंदर को सांस्कृतिक मानचित्र पर एक नई पहचान भी दिलाई है।

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